दिल की बात
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रात ख़्वाबों में मेरे आये थे, शायद वो तुम ही थे,
शबे-ग़म में चंद साये थे, शायद वो तुम ही थे|
हर दो घड़ी के बाद बदलते थे करवटें,
याद हमको बहुत आये थे, शायद वो तुम ही थे|
दस्तक हवा ने दी थी मगर हमको यूँ लगा,
जिसने किवाड़ खटकाये थे शायद वो तुम ही थे|
साहिल करीब था मगर थे फ़ासले बहुत,
मंज़िल सी नज़र आये थे शायद वो तुम ही थे|
बहुत रोका दमे-इंतज़ार मगर हाय रे नसीब,
मेरी क़ज़ा जो लाये थे, शायद वो तुम ही थे|
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