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शायद वो तुम ही थे….

दिल की बात
दिल की बात
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रात ख़्वाबों में मेरे आये थे, शायद वो तुम ही थे,

शबे-ग़म में चंद साये थे, शायद वो तुम ही थे|


हर दो घड़ी के बाद बदलते थे करवटें,

याद हमको बहुत आये थे, शायद वो तुम ही थे|


दस्तक हवा ने दी थी मगर हमको यूँ लगा,

जिसने किवाड़ खटकाये थे शायद वो तुम ही थे|


साहिल करीब था मगर थे फ़ासले बहुत,

मंज़िल सी नज़र आये थे शायद वो तुम ही थे|


बहुत रोका दमे-इंतज़ार मगर हाय रे नसीब,

मेरी क़ज़ा जो लाये थे, शायद वो तुम ही थे|

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